नकली राष्ट्र भक्त
प्रतियोगिता हेतु रचना
नकली राष्ट्र भक्त
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ये राष्ट्र भक्त बनने वालों क्या तुमने आजादी दिलवाई।
जब भारत माँ को बांटा था तब तुमको लाज नहीं आई।।
माँ की छाती जब चीरी थी तब ममता तनिक नहीं आई।
जब संविधान की हत्या की तब अश्रु की धार नहीं आई।।
जब पाक ने हिन्दू काटे थे तब तुमको दया नहीं आई।
लाशों की गाड़ी आई थी तब अपनों की याद नहीं ।।
अब नकली हिन्दू बन बैठे तुम धर्म बदल कर लूट रहे।
कितने धर्मों की खिचड़ी हो तुम असली धर्म को भूल गए।।
कितने पूत शहीद हुए जब भारत माता रोईं थी।
तुम थे पिठ्ठू अंगेजों के उनके चरणों की रज धोई थी।।
सुखदेव, भगत और चन्द्र शेखर ने आजादी दिलवाई थी।
मंगल और सुभाष बोस ने आजादी की अलख जगाई थी।।
बिना ढाल तलवारों सेआजादी नहीं मिला करती।
अहिंसा के आन्दोलन से आजादी नहीं मिला करती।।
भारत माँ को कितने घाव दिये सारा धन, वैभव लूट लिया।
भृष्टाचारी दुश्करर्मो से सोने की चिड़िया🐦 को मार दिया।।
अंग्रेज़ो से नीति सीख हिन्दू, मुस्लिम को बांट दिया।
आजादी के अमर सपूतों को इतिहास से तुमने मिटा दिया।।
अब सीना ठोंकते घूम रहे आजादी हमने दिलवाई।
क्या आजादी के खातिर लाठी गोली तुमने खाई।।
क्या कोई वंशज तेरा था जिसने फांसी फंदा चूमा।
या चन्द्र शेखर आजाद की भांति शहर-शहर जंगल घूमा।।
आज देश आजाद हुआ तो तमगा तुमने लगा लिया।
अपने ही हाथों से खुद को भारत रत्न भी बना लिया।।
असली तो भारत रत्न थे वो जिसने लाठी गोली खाई।
भारत आजाद कराने को मर मिटने की थी कसमें खाईं।।
कवि विद्या शंकर अवस्थी( पथिक)
Swati chourasia
15-Jul-2023 02:55 PM
बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌
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Milind salve
13-Jul-2023 11:16 AM
Nice 👍🏼
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
13-Jul-2023 08:07 AM
वास्तविकता से परिपूर्ण अभिव्यक्ति
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